Saturday, 24 September 2016

रामचरित मानस / उत्तर काण्ड

ज्ञानी तापस सूर कबि कोबिद गुन आगार।
केहि कै लोभ बिडंबना कीन्हि न एहिं संसार।
श्री मद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि।।
मृगलोचनि के नैन सर को अस लाग न जाहि।।
अर्थात्---- इस संसार में ऐसा कौन ज्ञानी,तपस्वी,शूरवीर,कवि ,विद्वान और गुणों का धाम है जिसकी लोभ ने मट्टी पलीद न की हो....लक्ष्मी के मद ने किसको टेढ़ा और प्रभुता ने किसको बहरा नहीं कर दिया? ऐसा कौन है जिसे मृगनयनी के नेत्र बाण न लगे हों??
------रामचरित मानस / उत्तर काण्ड

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