ज्ञानी तापस सूर कबि कोबिद गुन आगार।
केहि कै लोभ बिडंबना कीन्हि न एहिं संसार।
श्री मद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि।।
मृगलोचनि के नैन सर को अस लाग न जाहि।।
अर्थात्---- इस संसार में ऐसा कौन ज्ञानी,तपस्वी,शूरवीर,कवि ,विद्वान और गुणों का धाम है जिसकी लोभ ने मट्टी पलीद न की हो....लक्ष्मी के मद ने किसको टेढ़ा और प्रभुता ने किसको बहरा नहीं कर दिया? ऐसा कौन है जिसे मृगनयनी के नेत्र बाण न लगे हों??
------रामचरित मानस / उत्तर काण्ड
This blog is sharing interesting facts, information and pictures.It also provide view of different places in India. Specially this Blog works on the Books written by MR. UMESH PANDEY (with permission).
Saturday, 24 September 2016
रामचरित मानस / उत्तर काण्ड
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